जरुरत है एक दुसरे की दिन और रात,
दिन के बाद शाम से होती मुलाकात।
ढलती हुई किरणे कुछ एहसास दिला जाती है
मुक्कम्मल नहीं है ये जहान बता जाती है।
यादें कहीं कहकहों की गूंजती है
कभी यु ही कोई अनजान हमसफ़र बनके चल देता है साथ।
जरुरत है एक दुसरे की दिन और रात,
दिन के बाद शाम से होती मुलाकात।
हो जाती है अफ़्सानो से अश्को की बरसातें
कभी दिल में ही रह जाती है कुछ अनकही सी बातें।
फुर्सत नहीं है लोगो को अपनों के लिए भी
तो गैरो की क्या रह जाती है औकात।
जरुरत है एक दुसरे की दिन और रात,
दिन के बाद शाम से होती मुलाकात।
फ़लसफ़े अक्सर सुनता रहता हूँ राह-ऐ-रहगुजर से
कोई अक्सर धुन अजनबी सी सुना जाता है।
लम्हों में सिमट आती है ज़िन्दगी हर रोज़
कैसे बयान करू मैं ये जज्बात।
जरुरत है एक दुसरे की दिन और रात,
दिन के बाद शाम से होती मुलाकात।
दिन के बाद शाम से होती मुलाकात।
ढलती हुई किरणे कुछ एहसास दिला जाती है
मुक्कम्मल नहीं है ये जहान बता जाती है।
यादें कहीं कहकहों की गूंजती है
कभी यु ही कोई अनजान हमसफ़र बनके चल देता है साथ।
जरुरत है एक दुसरे की दिन और रात,
दिन के बाद शाम से होती मुलाकात।
हो जाती है अफ़्सानो से अश्को की बरसातें
कभी दिल में ही रह जाती है कुछ अनकही सी बातें।
फुर्सत नहीं है लोगो को अपनों के लिए भी
तो गैरो की क्या रह जाती है औकात।
जरुरत है एक दुसरे की दिन और रात,
दिन के बाद शाम से होती मुलाकात।
फ़लसफ़े अक्सर सुनता रहता हूँ राह-ऐ-रहगुजर से
कोई अक्सर धुन अजनबी सी सुना जाता है।
लम्हों में सिमट आती है ज़िन्दगी हर रोज़
कैसे बयान करू मैं ये जज्बात।
जरुरत है एक दुसरे की दिन और रात,
दिन के बाद शाम से होती मुलाकात।
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