Sunday, June 29, 2014

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वक़्त कब ठहरा चलता रहा हरदम,
रुकी रुकी सी साँसे यहाँ आने से दर्द से अब दूर है
पल पल नयी दोस्ती का राग छेड़ता है कोई
हर किसी के चेहरे पे मुस्कुराहट बिखेरता है कोई

ये गलियाँ कैसी अंजानी सी अपनी हो गयी है
धड़कता है दिल कहता है ज़िन्दगी बस यहीं है
यहाँ भी कुछ वक़्त गुज़ार दे ऐ राही
मंज़िल कही भी हो रास्ता बस यहीं है

इक शाम का मंज़र आँखों में उत्तर आता है
जब कोई अपनी आरज़ू बताता है
हैं पंछी हर डाल के यहाँ चहचहाते
लोग यहाँ ऐसे ही नहीं चले आते

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